टिड्डी दल के प्रकोप की सूचना ग्राम प्रधान, लेखपाल, कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों और ग्राम पंचायत अधिकारियों के माध्यम से कृषकों तक पहुंचाने के लिए कहा गया.
कृषि विज्ञान केन्द्र, कौशांबी के मृदा वैज्ञानिक डा.मनोज कुमार सिंह ने “खेती की पाठशाला “कोविड-१९” व्हाट्स ग्रुप (जिसमें कृषक भाई जुड़े हुए है,को प्रतिदिन कोविड एडवाइजरी के माध्यम से तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने के क्रम) में टिड्डी दल के बचाव के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में टिड्डी कीट का प्रकोप झांसी तक पहुंच चुका है, झांसी विश्राम के बाद यह अपना क्षेत्र बढ़ाने के अवसर में है।
अभी खरीफ फसल कि बुवाई शुरू भी नहीं हुई है लेकिन टिड्डी का आतंक इससे लगाया जा सकता है कि कई क्षेत्रों में जायद की फसल उर्द, मूंग, सब्जियों एवं अन्य फलदार पेड़ों को चंद मिनटों में खत्म कर रहा है। केन्द्र तथा राज्य सरकार ने टिड्डी से बचाव तथा इसकी रोकथाम के लिए समुचित प्रयास कर रही है एवं किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे अपने स्तर पर समूह बनाकर खेतों में रात के समय निगरानी करे।
शाम ७ से ९ बजे के मध्य टिड्डी दल रात्रि विश्राम के लिए कहीं भी बैठ सकता है, टिड्डी दल जैसे ही दिखाई दे,आप सर्वप्रथम प्रशासन ओर कृषि विभाग के बनाए गये कंट्रोल रूम के नोडल अधिकारी जिला कृषि अधिकारी श्री मनोज कुमार गौतम एवं उनकी टीम को तुरंत जानकारी दें एवं किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न तरह के पारंपरिक उपाय जैसे शोर मचाकर, अधिक ध्वनि वाले यंत्रों या पटाखों को बजाकर अपने खेत से टिड्डी दलों को भगा सकते हैं।
टिड्डी दल से बचाव के लिए रासायनिक उपाय में जो भी कीटनाशक दवायें कृषि विभाग, लखनऊ के टिड्डी दल के नोडल अधिकारियों द्वारा संस्तुत की गई है, किसान भाई इन कीटनाशकों का उपयोग सुबह ३ बजे से ६ बजे तक कीटनाशी दवाओं का प्रयोग करें | श्क्लोरपायरिफास २० ई.सी. एवं क्लोरोपायरीफास ५० ई.सी.,मैलाथियान ९६ प्रतिशत ई.सी.,फिप्रोनिल ५प्रतिशत ई.सी.प्रति हेक्टेयर ६००लीटर पानी में मिलाकर ट्रैक्टर चलित स्प्रे – पंप (पाँवर स्प्रेयर) द्वारा छिडकाव करें |
श्री मनोज कुमार गौतम जिला कृषि अधिकारी कौशांबी ने बताया कि टिड्डी दल के आक्रमण के समय यदि कीटनाशक दवा उपलब्ध न हो तो ट्रैक्टर चलित पावर–स्प्रे के द्वारा पानी की तेज बौछार से भी दल को भगाया जा सकता है |