महाराष्ट्र की राजनीति में ‘ऑल ओके’ ? आखिर क्या है राहुल के बयान का आशय?

कोरोना से चल रही जंग के बीच महाराष्ट्र का सियासी पारा भी चढ़ने लगा हैं। महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना मामलों के लिये बीजेपी लगातार वहां की गठबंधन सरकार पर ठीकरा फोड़ रही है। दरअसल भारत में आए कोरोना के कुल मामलों में तकरीबन 36 प्रतिशत मरीज़ महाराष्ट्र से हैं।आपको बता दें कि एनसीपी मुखिया शरद पवार ने बीती देर रात राज्यपाल से मिलने पहुचे। और इसके बाद प्रदेश सीएम उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात की।

वहीं राहुल गांधी ने महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर एक बयान देकर कयासों को हवा दे दिया हैं। राहुल गांधी के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार को कांग्रेस का समर्थन तो हैं लेकिन प्रदेश के सरकार से जुड़े फैसलों में कोई भूमिका नही होती है। लेकिन कई आरोपों से उद्धव सरकार का बचाव भी किया। राहुल के मुताबिक पार्टी सरकार को बेहतर ढंग से चला रही। वहीं मुंबई को कई राज्यों से जुड़े होने को कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह बताई। लेकिन जिस वक़्त गठबंधन की सरकार में पहले से ही खीचतान चल रही हो, ऐसे में राहुल गांधी का ये बयान एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने सभी कयासों को सिरे से नक़ार दिया है।

आपको बता दें कि सोमवार की रात शरद पवार राजभवन में राज्यपाल से मुलाक़ात के लिये गए थे। हालांकि इसे महज़ शिष्टाचार मुलाक़ात बताई गयी। आपको बता दें कि एनसीपी प्रमुख ने पार्टी सांसद प्रफुल्ल पटेल के साथ ये पहली दफा राज्यपाल के साथ बैठक की है। जबकि राज्यपाल को नवंबर 2019 में ही नियुक्त किया गया था। वहीं इसके बाद यानि सोमवार दोपहर को बीजेपी नेता नारायण राणे ने भी राज्यपाल से मिलकर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। इन सबके बीच बीजेपी नेता राणे का दावा है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार कोरोना संकट से निपटने में नाक़ाम रही। गौरतलब है कि राज्य विधानसभा के विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी कुछ दिन पहले राज्यपाल कोश्यारी से मुलाकात की थी। उन्होंने भी राज्यपाल से ठाकरे सरकार की नक़ामी की शिक़ायत की थी। इन सबके बाद राज्यपाल ने कोरोना संकट को लेकर एक समीक्षा बैठक की जिसमे से मुख्यमंत्री ठाकरे खुद नदारद रहे। इस बैठक में सीएम उद्धव ने अपने विश्वसनीय मिलिंद नावेर्कर को भेज दिया।

गौरतलब है कि राज्यपाल ने कुछ दिन पहले शिक्षामंत्री उदय सामंत के एक पत्र पर ऐतराज जताया था।दरअसल ये पत्र सामन्त की तरफ से यूजीसी को लिखा गया था जिसमे युनिवर्सिटी के अन्तिम वर्ष को कैन्सिल करने की सिफारिश की थी। राज्यपाल के मुताबिक ये पत्र दिशानिदेर्शों के खिलाफ था। वही मामले को खीचते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने राज्यपाल कोश्यारी से फोन पर बातचीत की थी। ध्यान देने वाली बात हैं कि बीजेपी से अलग होने के बाद शिवसेना के सुर बिल्कुल बदल गये हैं। वो तमाम चीजे जिनकी वो हिमायती हुआ करती थी आज उन्ही बातों पर ऐतराज जताने लगी है। आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे ने लॉकडाउन को लेकर हैरान करने वाला बयान दिया। सीएम ठाकरे के मुताबिक लॉकडाउन को अचानक लागू किया जाना जायज नहीं था। साथ ही अब अचानक हटाना भी लोगों के लिए नुकसानदायक होगा।

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