फिर रेल चलेगी छुक छुक छुक
हम फिर बोलेंगे रुक रुक रुक
फिर से जीतेंगे अपने सुख
फिर से हारेंगे सारे दुख
यह दूर-दूर का साथ है
मां कुछ दिनों की बात है
रौनक होगी बाजारों में
खनखन होगी औजारों में
फिर नाचेंगे त्योहारों में
इन गलियों इन चौबारों में
आने वाली वो सौगात है
मां कुछ दिनों की बात है
फिर फूल खिलेंगे बागों में
फिर धून मचलेगी रागों में
फिर से जाएंगे शहरों में
मेहनत होगी दोपहरों में
कट जाएगी यह बरसात है
मां कुछ दिनों की बात है
गौरी मिश्रा अंतर्राष्ट्रीय कवियत्री
नैनीताल
देवभूमि उत्तराखंड