केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन 22 मई को 34 सदस्यीय डब्ल्यूएचओ कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष बनने जा रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, डब्ल्यूएचओ कार्यकारी बोर्ड के नए प्रमुख के रूप में, भारत से एक नामित व्यक्ति को नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंगलवार को 194 देशों ने विश्व स्वास्थ्य सभा में हस्ताक्षर कर पारित कर दिया है।
हालांकि, डॉ. हर्षवर्धन का, इस महत्वपूर्ण पद को संभालने की ये खबर एक औपचारिकता से ज्यादा कुछ भी नहीं है, क्योंकि ये 2019 में ही तय किया कर गया था कि भारत के उम्मीदवार को, मई 2020 में तीन साल के कार्यकाल के लिए कार्यकारी बोर्ड में चुना जाएगा। W.H.O. (WHO-World Health Organization) के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के पद का चयन, हर साल रोटेशन करके क्षेत्रीय समूहों के बीच करवाया जाता है।
गौकतलब हो कि चेयरमैन का पद पूर्णकालिक असाइनमेंट नहीं होता है। डॉ. हर्षवर्धन केवल कार्यकारी बोर्ड की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे। कार्यकारी बोर्ड के सभी 34 सदस्य, स्वास्थ्य के क्षेत्र में उच्चत योग्यता रखते हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 73वीं विश्व स्वास्थ्य सभा को संबोधित किया और कहा कि देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए भारत ने आगे से आगे सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं।
भारत ऐसे समय में कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने जा रहा है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लगातार WHO पर जांच कराने की खातिर दबाव बना रहा है। अमेरिका चाहता है कि WHO ये पता करके बताए कि चीन के वुहान शहर में कोरोनो वायरस कैसे आया और अन्य देशों में इस वायरस के फैलने की जाँच कराने के लिए बीजिंग ने क्या-क्या कदम उठाएं हैं।
कोरोना वायरस ने बड़े-बड़े देशों को अपने चपेटे में ले रखा है ऐसे में भारत को, WHO के एक सदस्य के रूप में भारी चुनौतियों का सामना करने की हिम्मत मिलेगी। हालांकि भारत का, WHO में शामिल होने के बाद का ये सफर आसान नहीं होगा।