भारतीय संस्कृति में व्याप्त सभी संस्कृतियों का एक उच्चकोटि का आदर्श व्रत है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार एक महीने में दो एकादशी व्रत होते हैं एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है।
भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सभी हिन्दू परिवार को एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए हैं।
एकादशी व्रत के उपवास में सुबह से अगले दिन सूर्योदय के बाद ही उपवास समाप्त किया जाता हैं।लेकिन श्रद्धालु अपनी मनोशक्ति और शरीर की सामर्थ के अनुसार जैसे पानी के बिना, केवल पानी के साथ, केवल फलों के साथ अथवा एक समय सात्विक भोजन के साथ उपवास को कर करते हैं।
उपवास के समय किस तरह का भोजन खाना है यह निर्णय उपवास शुरू करने से पहले लिया जाता है।
एकादशी व्रत 2020
०६ जनवरी (सोमवार) पौष पुत्रदा एकादशी
२० जनवरी (सोमवार) षटतिला एकादशी
०५ फरवरी (बुधवार) जया एकादशी
१९ फरवरी (बुधवार) विजया एकादशी
०६ मार्च (शुक्रवार) आमलकी एकादशी
१९ मार्च (बृहस्पतिवार) पापमोचिनी एकादशी
२० मार्च (शुक्रवार) वैष्णव पापमोचिनी एकादशी
०४ अप्रैल (शनिवार) कामदा एकादशी
१८ अप्रैल (शनिवार) बरूथिनी एकादशी
०३ मई (रविवार) मोहिनी एकादशी
०४ मई (सोमवार) गौण मोहिनी एकादशी वैष्णव मोहिनी एकादशी
१८ मई (सोमवार) अपरा एकादशी
०२ जून (मंगलवार) निर्जला एकादशी
१७ जून (बुधवार) योगिनी एकादशी
०१ जुलाई (बुधवार) देवशयनी एकादशी
१६ जुलाई (बृहस्पतिवार) कामिका एकादशी
३० जुलाई (बृहस्पतिवार) श्रावण पुत्रदा एकादशी
१५ अगस्त (शनिवार) अजा एकादशी
२९ अगस्त (शनिवार) परिवर्तिनी एकादशी
१३ सितम्बर (रविवार) इन्दिरा एकादशी
२७ सितम्बर (रविवार) पद्मिनी एकादशी
१३ अक्टूबर (मंगलवार) परम एकादशी
२७ अक्टूबर (मंगलवार) पापांकुशा एकादशी
११ नवम्बर (बुधवार) रमा एकादशी
२५ नवम्बर (बुधवार) देवुत्थान एकादशी
२६ नवम्बर (बृहस्पतिवार) वैष्णव देवुत्थान एकादशी
१० दिसम्बर (बृहस्पतिवार) उत्पन्ना एकादशी
११ दिसम्बर (शुक्रवार) गौण उत्पन्ना एकादशी वैष्णव उत्पन्ना एकादशी
२५ दिसम्बर (शुक्रवार) मोक्षदा एकादशी
एकादशी व्रत का भोजन:- शास्त्रों के अनुसार
श्रद्धालु व्रत के दिन फल, नारियल पानी , दूध-दही, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू आदि का प्रयोग कर सकते हैं।
एकादशी को क्या करें:-
-एकादशी के दिन पवित्र नदियों में या जल से स्नान करे
-प्रतिदिन मस्तक पर तिलक करे
-ब्रह्मचर्य का पालन करे
-इष्टदेव के मंत्र का जाप करे
एकादशी को क्या न करें:-
-एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें।
-बाल नहीं कटवाएं।
-एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित होता है।
– किसी का दिया हुआ अन्न आदि न खाएं।
-मन में किसी प्रकार का विकार न आने दें।
एकादशी मंत्र
एकादशी पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्र का जाप किया जाता है:
‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ या गुरु के द्वारा प्रधान किया गया मंत्र का जाप किया जाता है
भक्तों को अपनी सुबह और शाम की प्रार्थना करते हुए एकादशी माता की आरती भी गानी चाहिए।