राशिफल क्या होता है और कैसे प्रयोग किया जाता है :-पंडित कौशल पाण्डेय

जो लोग प्रतिदिन राशिफल पढ़ने के लिए उत्सुक रहते है उनके लिए विशेष लेख
राशि फल कैसे देखे जन्म राशि से या पुकार राशि से। जातक के जन्म के समय जन्मराशि के अनुसार ही नाम का निर्धारण किया जाता है, जन्म के समय चन्द्र जिस राशि में स्थित होता है वही जातक की जन्मराशि होती है। नक्षत्र चरण अनुसार नामाक्षर का निर्धारण किया जाता है। इसी नामाक्षर से जातक का नामकरण किया जाना उचित है , ज्योतिष शास्त्र में जन्मनाम को प्रचारित किया जाना निषिद्ध है।

जन्म राशि का प्रयोग विवाह, संपूर्ण मांगलिक कार्य, यात्रा और ग्रहों की युक्ति आदि कार्यों के लिए किया जाता है और राशि फल देखने के लिए प्रचलित नाम से राशि फल देखना चाहिए।
विद्या रम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्ग में तथा l
संग्रामे संकटे चैव् विघ्नतस्य न जायते l l

हम सभी जानते हैं कि हमारे भारतवर्ष की जनसंख्या 137 करोड़ से अधिक है, ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियां हैं।
जैसे (मेष (Aries), वृषभ (Taurus), मिथुन (Gemini), कर्क (Cancer), सिंह (Leo), कन्या (Virgo), तुला (Libra), वृश्चिक (Scorpio), धनु (Sagittarius), मकर (Capricorn), कुंभ (Aquarius) और मीन (Pisces)).

आप सभी बहुत उत्सुकता के साथ राशि फल पढ़ते है और राशि में कुछ अच्छा आ जाता है तो मन प्रसन्न हो जाता है लेकिन कभी ये सोचा है मान लो आप दिल्ली में रहते है 1 ही नाम राशि के हजारों लोग एक ही शहर में रहते है किसी के लिए अच्छा है किसी के लिए बुरा।
उदाहरण के लिए मान लीजिये मेष राशि में लिखा है आज धन लाभ के योग है
अतः अपने कर्म पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

व्यक्ति के राशि का निर्धारण उसके जन्म नाम या प्रचलित नाम के प्रथम अक्षर से किया जाता है।
ज्योतिष कर्म प्रधान है जैसा इन्शान कर्म करता है वैसा ही उसका फल मिलता है

आजकल जिस प्रकार से रोज राशिफल बताया जाता है, उसका कोई शास्त्रोक्त व ज्योतिषीय आधार नहीं होता।

आप सब भी यह पढ़ कर हैरान हो जायेगे लेकिन सच को जानना सभी के लिए बहुत आवश्यक है।
ज्योतिष शास्त्र में ग्रह गोचर का प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण होता है।

ज्योतिष शास्त्र में फलादेश के लिए वर्तमान का ग्रह गोचर बहुत महत्वपूर्ण होता है इसी आधार पर जन्मपत्रिका का फलादेश किया जाता है।
सबसे मुख्य बात है की ज्योतिष शास्त्र ग्रह गोचर अर्थात ग्रहों का राशि परिवर्तन प्रतिदिन नहीं होता फिर रोज का राशि फल किस आधार पर किया जाता है।

ज्योतिष में 9 ग्रहों के गोचर का अलग-अलग काल है जैसे :-
सूर्य, बुध, शुक्र लगभग 1 महीने तक एक ही राशि में रहते है .
मंगल 57 दिन एक ही राशि में रहते है .
गुरु 1 वर्ष तक एक ही राशि में रहते है .
शनि ढाई वर्ष तक एक ही राशि में रहते है
राहु-केतु दोनों डेढ़ वर्ष तक एक ही राशि में रहते है
और चंद्र ग्रह सवा दो दिन में अपनी राशि परिवर्तन करता हैं।
ज्योतिष में सम्पूर्ण राशि फल चंद्र के अनुसार ही किया जाता है जब यह सवा दो दिनों तक एक ही राशि में रहता है तो दैनिक राशिफल किस आधार पर किया जाता है।
मान लेते है यदि किसी ग्रह का गोचर हुआ भी तो अगले दिन से लेकर पुन: 3 दिनों तक वही स्थिति रहेगी। जो ग्रह जिस राशि में स्थित है, उसी राशि में रहेगा तो ऐसे समान ग्रह स्थिति के आधार पर फलित प्रतिदिन कैसे परिवर्तित हो सकता है, आप स्वयं सोचिए!

जन्म पत्रिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण-

ज्योतिष शास्त्र में किसी जातक के फलित के लिए उसकी जन्म पत्रिका की लग्न कुंडली को सर्वाधिक महत्ता प्रदान की गई है तत्पश्चात नवमांश कुंडली, उसके बाद वर्ग कुंडली, फिर विंशोत्तरी दशाएं, उसके बाद योगिनी दशाएं और सबसे अंत में गोचर को मान्यता दी गई है। जब गोचर को ही फलित करते समय सबसे अंतिम पायदान पर रखा जाता है तो केवल चंद्र के गोचर व नक्षत्र से दैनिक राशिफल निकालना कहां तक उचित व प्रामाणिक है?

दैनिक राशिफल भी होता है-

अब उपर्युक्त आधार पर क्या यह मान लिया जाए कि ज्योतिष शास्त्र में दैनिक राशिफल होता ही नहीं है? नहीं, ऐसा कदापि नहीं है।
दैनिक राशिफल भी ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत ही आता है किंतु वह प्रत्येक जातक का निजी होता है और उसका आधार प्रश्न कुंडली व नष्टजातकम् पद्धति होता है।

उस दैनिक राशिफल के लिए व्यक्ति को ज्योतिषी से प्रश्न करना होता है कि ‘मेरा आज का दिन कैसा रहेगा?’
तब ज्योतिषी प्रश्न कुंडली के आधार पर अथवा उस व्यक्ति से कोई अंक पूछकर उसके दिन के बारे गणना कर उस दिन का भविष्य संकेत उसे देता है।

इस प्रकार का दैनिक राशिफल व्यक्तिगत होता है, न कि सार्वजनिक। अत: हमारे मतानुसार समाचार पत्रों व न्यूज चैनलों में प्रसारित-प्रकाशित होने वाले दैनिक राशिफल के फलित को गंभीरता से न लेते हुए अपनी जन्म पत्रिका की ग्रह स्थितियों, दशाओं व अपनी राशि गोचर पर अधिक विश्वास करना चाहिए।

यदि किसी दिन के बारे में जानना बहुत आवश्यक हो तो किसी विद्वान दैवज्ञ से प्रश्न कर इस संबंध में निर्णय करना अधिक श्रेयस्कर व लाभदायक रहता है।

जानिए किस अक्षर की क्या राशि होती है :-
मेष (चु, चे, चो, ला, लि, लु, ले, लो, अ):-
वृषभ (इ, उ, ए, ओ, वा, वि, वु, वे, वो):-
मिथुन (का, कि, कु, घ, ङ, छ, के, को, हा) :-
कर्क (हि, हु, हे, हो, डा, डि, डु, डे, डो) :-
सिंह (मा, मि, मु, मे, मो, टा, टि, टु, टे) :-
कन्या (टो, पा, पि, पु, ष, ण, ठ, पे, पो) :-
तुला (रा, रि, रु, रे, रो, ता, ति, तु, ते) :-
वृश्चिक (तो, ना, नि, नु, ने, नो, या, यि, यु) :-
धनु (ये, यो, भा, भि, भु, धा, फा, ढा, भे) :-
मकर(भो,जा,जि,जु,जे,जो,ख,खि,खु,खे,खो,गा,गि) :-
कुम्भ (गु, गे, गो, सा, सि, सु, से, सो, दा) :
मीन (दि, दु, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, चि) :

पंडित कौशल पाण्डेय (ज्योतिष, वास्तु ,राशि रत्न विशेषज्ञ )
राष्ट्रीय महसचिव
श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज, भारत

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