वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ तड़के सुबह साढ़े चार बजे बद्रीनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोल दिए गए। कपाट खुलते ही विधिपूर्वक सर्वप्रथम गुरु शंकराचार्यजी की गद्दी, उद्धवजी, कुबेरजी की पूजा की गई। मंदिर में सर्वप्रथम पूजा-अर्चना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से, उनके नाम से की गई। वहां उपस्थित पुजारियों के अनुसार पहली पूजा मानवता के कल्याण हेतु की गई।
उत्तराखण्ड में नीलकंठ पर्वत पर स्थित भगवान बद्री विशाल के मंदिर को फूलों से भलीभांति सुसज्जित किया गया। कपाट खोलने की तैयारियां बीते बुद्धवार से ही प्रारम्भ कर दी गई थी। कपाट खुलने के साथ ही बद्री विशाल का धाम वेद मंत्रों की ध्वनियों से गूंज उठा।
बद्री नारायण मंदिर उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के तट पर नीलकंठ पर्वत पर स्थित है। बद्रीनाथ धाम की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की है। मंदिर का विभाजन तीन भागों में किया गया है, गर्भगृह, दर्शनमंडप और सभामंडप। इसी क्षेत्र में गंगोत्री और यमनोत्री धाम भी आते हैं।
ऐसी मान्यता है कि जब विष्णुजी यहां तपस्या कर रहे थे तब महालक्ष्मी ने बदरी अर्थात बेर का वृक्ष बनकर विष्णुजी को छाया प्रदान की थी और श्रीहरि को प्रत्येक मौसम की समस्त बाधाओं से सुरक्षित रखा था। लक्ष्मीजी से प्रसन्न होकर विष्णुजी ने इस स्थान को बद्रीनाथ से प्रसिद्ध होने का वरदान दिया था।
प्रत्येक वर्ष कपाट खुलने के इस दिन को महापर्व की भांति हज़ारों श्रद्धालुओं के बीच हर्षोल्लास से मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष कोरोना महावारी के चलते पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी समेत मात्र कुछ लोंगो की मौजूदगी में ही अखंड ज्योति को प्रज्वलित किया गया। इस दौरान सभी लोंगो ने मास्क पहने हुए थे और पूर्णता सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया।