कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की यह भव्य इमारत पांच पिलर पर खड़ी होगी. इस दौरान उन्होंने देश के सामने विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा भी की. ये है पांच स्तम्भ इकॉनोमी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाना होगा, सिर्फ रफ्तार नहीं बढ़ानी होगी बल्कि क्वानटम जंप भी लगाना होगा. इन्फ्रास्ट्रक्चर : पीएम मोदी ने कहा कि देश में इस तरह का इंस्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया जाएगा, जो आधुनिक…
Day: May 12, 2020
रास्ट्र को सम्बोधित करेंगे पीएम
नई दिल्ली : कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री मोदी आज फिर रात आठ बजे देश को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट करके यह जानकारी दी. बता दें कि देश में कोरोना वायरस से निबटने के लिए 17 मई तक लॉकडाउन है.गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद किया. इस दौरान उन्होंने देश में कोरोना वायरस संकट पर चर्चा की. संवाद में ज्यादातर मुख्यमंत्रियों ने यात्री ट्रेनों को अभी न शुरू किए जाने की अपील की.…
वृंदावन के चींटे और एक संत | पढ़िए एक सत्यकथा
एक सच्ची घटना सुनिए एक संत की वे एक बार वृन्दावन गए वहाँ कुछ दिन घूमे फिरे दर्शन किए जब वापस लौटने का मन किया तो सोचा भगवान् को भोग लगा कर कुछ प्रसाद लेता चलूँ.. . संत ने रामदाने के कुछ लड्डू ख़रीदे मंदिर गए.. प्रसाद चढ़ाया और आश्रम में आकर सो गए.. सुबह ट्रेन पकड़नी थी . अगले दिन ट्रेन से चले.. सुबह वृन्दावन से चली ट्रेन को मुगलसराय स्टेशन तक आने में शाम हो गयी.. . संत ने सोचा.. अभी पटना तक जाने में तीन चार घंटे…
हनुमान जी का अतुलित बल | संत श्री मणिरामदास महाराज
सर्व प्रथम आप सभी लोगों को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष के मंगलवार की खूब ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई। प्रसंग – अनंत बलवंत श्री हनुमंत लाल जी महाराज जी की कनिष्ठिका अंगुली मात्र में कितना बल है—- तो फिर चलते हैं—– आप सभी लोगों को ये तो मालूम ही है कि देवताओं के राजा जो देवराज इन्द्र है उनकी सवारी क्या है। मुझे मालूम है कि आप को मालूम है— फिर भी मै बता रहा हूं! थोड़ा मन को एकाग्र चित्त करके सुनिएगा। क्यूंकि जानते हैं हमें जब…
वो बचपन के दिन | बचपन की निश्छल संवेदनाओं पर रचित कुछ भाउक कर देने वाली पंक्तियाँ
समय पांचवी तक घर से तख्ती लेकर स्कूल गए थे. स्लेट को जीभ से चाटकर अक्षर मिटाने की हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें । पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था । स्कूल में टाट पट्टी की अनुपलब्धता में घर से बोरी का टुकड़ा बगल में दबा कर ले जाना भी हमारी दिनचर्या थी । पुस्तक के बीच विद्या , पौधे की पत्ती और मोरपंख रखने से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास…
खुदा की ख़ामोशी । कवी : अभिनयकुमार सिंह
ऐ खुदा बता तूने किसके नाम जगत लिखा है ? ये कौन है जो तेरे इनायतों को बाँटता है ? परिंदे भी राह भटकने लगे है आसमानो में, ये कौन है जो तेरे सल्तनत पर राज करता है । सागर पर तूने किसका हक़ लिखा है ? ये कौन है जो पानी को नाम से पुकारता है ? पानी तो घुल जाता है मिलकर पानी में, तो ये कौन है जो पानी को रंग से पहचानता है। धरा पर तूने किसका इख़्तियार रखा है ? ये कौन है जो मिटटी…