महाराष्ट्र राजनीति में पिछले कुछ दिनों से अनिश्चितता के हालात बने हुए थे। लेकिन सीएम उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद चुनाव के लिए आज अपना नोमिनेशन फ़ाईल कर दिया है। ऐसे में उद्धव की उम्मीदवारी से महाराष्ट्र की राजनीति से संकट के बादल छंट गये हैं। दरअसल 28 मई उद्धव को विधानमंडल के किसी एक सदन का सदस्य होना जरूरी है। स्थिति इसके उलट होने पर उन्हे अपने पद से हाथ धोना पड़ सकता है। आपको बता दें कि 21 मई को राज्य विधानपरिषद की 9 सीटें पर चुनाव होना है। वहीं विधानसभा में हर पार्टी के पास विधायकों का जो आंकड़ा है उसके मुताबिक बीजेपी को 4, शिवसेना को 2, एनसीपी को 2 और कांग्रेस को 1 सीट मिल रही है। लेकिन कांग्रेस एक सीट ज्यादा चाहती थी क्योंकि सत्ता गठन के बाद उसे न तो डिप्टी सीएम का पद मिला और न ही ज्यादा मंत्रालय मिला।
कांग्रेस का शुरु से यही मानना रहा है कि गठबंधन के सहारे सत्ता गठन के दौरान उसके साथ न्याय नही हुआ। जिसकी भरपाई कांग्रेस अब ज़्यादा सीट पाकर करना चाहती थी। अगर कांग्रेस के दोनों में से एक उम्मीदवार ने पर्चा वापस नहीं लिया होता तो चुनाव कराना जरूरी हो जाता। सूत्रों के मुताबिक उद्धव ने कांग्रेस को चेतावनी भी दे दी कि अगर कांग्रेस अपना फैसला वापस नही लेती तो वो नामांकन पत्र नहीं भरेंगे। दरअसल कांग्रेस इस बात के लिये निश्चिंत थी कि बीजेपी के विधायकों से क्रॉस वोटिंग कराके उसका दूसरा उम्मीदवार भी जीत जाएगा। तीनों पार्टियों की बैठक के बाद कांग्रेस अपना फैसला लेने पर मजबूर हो गयी।