मरता क्या ना करता… दरअसल ये कहावत आज के दौर पर सटीक बैठती है। कोई कहता वो मजबूर हैं, इसिलिए पलायन कर रहे हैं तो कोई कहता है कि वो मजदूर हैं इसिलिए पलायन कर रहा। तो कुछ पलायन पर ही सवाल उठाते हैं। लेकिन उन्हे स्वाभिमानी बता पाने की हिम्मत शायद किसी मे नही। दरअसल गरीब को अपनी गरीबी से कम उन्हे सिस्टम से ज़्यादा शिक़ायत है। देश भर में मजदूरों के पलायन की तस्वीर सामने आ रही लेकिन इस तस्वीर के पीछे की वजह को भी जानना बेहद ज़रूरी हैं। आखिर कैसे बिहार, यूपी, एमपी, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ के ही ज़्यादातर मज़दूर दूसरे प्रान्तों में पहुँच जाते हैं? वो भी अनजान जगहों या फिर अंजान धन्धों में? मजदूरों का काम के लिए गृह राज्यों से दूसरे राज्यों में पलायन कैसे होता है? अब यही सही वक़्त है सोचने का। मजदूर बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों और मेट्रोपोलिटन शहरों में भी जाकर काम करते हैं। इनमें दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, चेन्नई, सहित पंजाब, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, गोवा यानी पूरे देश में कहीं भी काम को चले जाते हैं। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि कम पढ़ा लिखा तबका कैसे बड़े शहरों की चकाचौंध में नौकरी ढूंड लेता है? बस यहीं से आप रूबरू होंगे पलायन की असली जड़ो से। ये बात काफी चौकाने वाली है कि मजदूरों का एक बड़ा तबका एक राज्य से दूसरे राज्य कमाने के लिये पहुचता है तो वहां के प्रशासन और श्रम विभाग को इसकी जानकारी कैसे नही होती है?
https://www.youtube.com/watch?v=EEtQunGLxSo&feature=youtu.be