अमरीका और खाड़ी देशों के बाद अब यूरोप ने कोरोना से बचाव के लिये भारत से मदद मांगी है।दरअसल यूरोप ने भारत से पैरासिटामोल के लिए एक हज़ार टन कच्चा माल मुहैया कराने का आग्रह किया है।फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया अध्यक्ष दिनेश दुआ के मुताबिक एनपीपीए ने यूरोप को कच्चा माल मुहैया कराने की मंजूरी दे दी है। दरअसल भारत सरकार ने कोरोना के तेज़ी से फैलते संक्रमण को भांपते हुए 17 अप्रैल को ही पैरासिटामोल से बनी दवाओं के निर्यात से रोक हटा लिया था।हालांकि, पैरासिटामोल में इस्तेमाल होने वाली एपीआइ के निर्यात पर अभी भी प्रतिबंध बरकरार है। एनपीपीए से मंजूरी के बाद इसके निर्यात के लिए डीजीएफटी से भी इजाजत मिलना ज़रूरी है। दुआ के मुताबिक यूरोप को हर महीने तक़रीबन 1 हज़ार टन एपीआइ की जरूरत होती है। कोरोना संकट से पहले एक समय ऐसा था जब भारत महीने में लगभग 14 सौ टन एपीआइ का एक्सपोर्ट करता था। दुआ ने ये भी दावा किया कि फ़िलहाल देश में एपीआइ की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है। वही भारत की हर महीने की खपत महज़ 2 हज़ार टन है और उत्पादन क्षमता लगभग 6,200 टन प्रति माह की है। आपको बता दें कि यूरोप में कोरोना वायरस ने कहर बरपा रखा है। पूरे यूरोप में कोरोना के 15 लाख से ज़्यादा मामले हैं। इस देश में अब तक तकरीबन डेढ़ लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं यूरोप में जिस देश में सबसे ज़्यादा कोरोना के मामले सामने आए हैं वो स्पेन है। दूसरे नंबर पर इटली, तीसरे नंबर पर ब्रिटेन, चौथा फ्रांस और पांचवें नंबर पर जर्मनी है।
कोरोना कहर: अब यूरोप को पड़ी पैरासिटामोल की ज़रूरत, भारत ने बढाया मदद का हाथ
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