सीएम की कुर्सी पर संकट के बादल मंडराने से महाराष्ट्र में सियासी पारा तेज़ी से चढ़ने लगा है। ऐसे में अब सीएम उद्धव ठाकरे, पीएम मोदी की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं। बताया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे ने पीएम को फोन कर खुद को विधान परिषद में नामित किए जाने के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की अपील की।
आपको बता दें कि फिलहाल उद्धव विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। दरअसल उद्धव ने साल 2019 में 28 नवंबर को महाराष्ट्र सीएम का पदभार लिया था। लेकिन अब उन्हे इस पद पर बने रहने के लिए एक महीने के अंदर विधानपरिषद का सदस्य बनना होगा। सूत्रों के मुताबिक उद्धव ने पीएम से बातचीत के दौरान महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की साजिश का भी ज़िक्र किया। इतना ही नही, उद्धव ने कोरोना से राज्य में पैदा हुई स्थिति का भी तक़ाज़ा दिया। वहीं पीएम ने भी उद्धव को आश्वासन दिया है।
दरअसल उद्धव चुनाव जीतकर विधानसभा का सदस्य बनना चाहते थे लेकिन लॉकडाउन के चलते सभी चुनावों पर रोक लगा दी गयी है। फिलहाल सबकी निगाहें राज्यपाल के फैसले पर टिकी हैं। सरकार में शामिल सभी पार्टियां, कोश्यारी पर लेटलतीफी का इल्जाम लगा रही हैं। वहीं ऐसी भी खबरें हैं कि नोमिनेशन पर संशय के चलते उद्धव सरकार, चुनाव के लिये चुनाव आयोग से भी सम्पर्क साध सकती है। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव नहीं लड़े हैं। वहीं उनके बेटे आदित्य विधानसभा चुनाव लड़ने वाले परिवार के एकमात्र सदस्य हैं। वहीं दूसरी तरफ, शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने राज्यपाल की तरफ से हो रही लेटलतीफी के लिए बीजेपी नेतृत्व पर निशाना साधा। राऊत ने आरोप लगाया कि राज्यपाल को मसले पर फ़ैसला लेने से पहले बीजेपी नेतृत्व से पूछना पड़ेगा।